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याद आती हैं हमे

जुल्फ से हल्की-सी बारिश याद आती हैं हमें,
भूल जाने की सिफारीश याद आती है हमें,
चाहकर भी जो मुकम्मिल हम कभी ना कर सकें,
बीते लम्हों की गुजारिश याद आती हैं हमे
* * *
आज भी कोई सदा है, जो बुलाती हैं हमें
गीत में या फिर गजल में गुनगुनाती हैं हमें

वक्त बदला पर उसीकी आदतें बदली नहीं,
तब जलाती थी हमे, अब भी जलाती है हमें

बात उसकी मान लेते तो सँवर जाते, मगर,
जिन्दगी सबकुछ कहाँ जलदी सिखाती हैं हमे

वो हमारे बीच थी तो आँख में आँसू न थे,
आज उसकी याद भी महिनों रुलाती है हमें

मुँदकर आँखें अगर हम सो सकें तो ठीक है,
मौत आकर निंद में गहरी सुलाती है हमें

हम गजल का हाथ थामे इसलिये बैठे रहें
लिख नहीं पाते कभी तो वो लिखाती हैं हमें

कोई तो ‘चातक’ वजह होगी हमारे नाम की,
वरना ये कदमों की आहट क्यूँ जगाती है हमें ?

– © दक्षेश कोन्ट्राकटर ‘चातक’

9 Comments

  1. Naresh K. Dodia
    Naresh K. Dodia September 28, 2013

    वक्त बदला पर उसीकी आदतें बदली नहीं,
    तब जलाती थी हमे, अब भी जलाती है हमें

    बात उसकी मान लेते तो सँवर जाते, मगर,
    जिन्दगी सबकुछ कहाँ जलदी सिखाती हैं हमे

    वो हमारे बीच थी तो आँख में आँसू न थे,
    आज उसकी याद भी महिनों रुलाती है हमें
    .. વાહ

  2. Dr.Vidhi Patel
    Dr.Vidhi Patel August 20, 2013

    ક્યા બાત હૈ….

  3. Pravin Shah
    Pravin Shah August 13, 2013

    बात उसकी मान लेते तो सँवर जाते, मगर,……
    बहुत अच्छी मननीय गझल कही ।
    जन्मदिनकी हार्दिक शुभकामनाएं |

  4. Ashok Jani 'Anand'
    Ashok Jani 'Anand' August 12, 2013

    अब हिन्दुस्तानीमें भी आपके जौहर दिखने लगे हैं, बडी अच्छी गझल कही है आपने..
    बात उसकी मान लेते तो सँवर जाते, मगर,
    जिन्दगी सबकुछ कहाँ जलदी सिखाती हैं हमे
    वाह….
    जन्मदिनकी हार्दिक शुभकामनाएं…..!!

  5. Sunil Bhavsar
    Sunil Bhavsar August 12, 2013

    fantastic !!!!!

  6. Kishore Modi
    Kishore Modi August 12, 2013

    बहुत अच्छी मननीय गझल कही आपने।

  7. Atul
    Atul August 12, 2013

    જન્મદિવસના ખૂબ ખૂબ અભિનન્દન!!! સાહિત્ય જગત અને અધ્યાત્મ જગતની ખૂબ ખૂબ સેવા કરવાની તક ઇશ્વર તમને આપે. ‘સ્વ’ને ઓળખવાની યાત્રામાં ઘણે આગળ વધો અને આ યાત્રામાં બન્ને જગત તમને મદદ કરે એવી અન્તરની શુભેચ્છાઓ !!!!

  8. Anil Chavda
    Anil Chavda August 12, 2013

    जिन्दगी सबकुछ कहाँ जलदी सिखाती हैं हमे

    સરસ ગઝલ થઈ છે દક્ષેશભાઈ…. આપની પકડ હિન્દી-ઉર્દૂ પર પણ ખૂબ જ સારી છે.

  9. Rina
    Rina August 12, 2013

    Waaaah. ……….

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