किसी भी हाल में चहेरे को हम खुशहाल रखते हैं,
तमाचा मारकर भी गाल अक्सर लाल रखते हैं ।
पसीने को हमारे गर कोई आँसू समज ना लें,
बहुत कुछ सोचकर हम हाथ में रूमाल रखते हैं ।
बुरे हालात हैं, अच्छी खबर की ना हमें उम्मीद,
कमी महेसूस ना हो खून की, गुलाल रखतें हैं ।
समय के पास जिनके कोई भी उत्तर नहीं एसे,
हम अपनी आँख में जिन्दा कई सवाल रखतें हैं ।
हर एक लम्हें को बेचैनी है हमको आजमाने की,
पराजित हो न जायें, आँसुओं की ढाल रखते हैं ।
गज़ल तो एक ही पहलू हमारी जिंदगानी का,
बस इतना जान लो, ‘चातक’ कई कमाल रखते हैं ।
– © दक्षेश कोन्ट्राकटर ‘चातक’
સમયકે પાસ જિનકે કોઇ ભી ઉત્તર નહીં એસે,
હમ અપની આંખ મેં જિન્દા કઈ સવાલ રખતેં હે
સુંદર ગઝલ.
बहोत सही बात फरमाई आपने, आप सहीमें बहोत ज्यादा फन के मालिक है,
कमाल तो करते ही है…. अच्छी गझल…!!
કમાલ કર ડાલી !
પસીનેકો હમારે ગર……….હાથમે રુમાલ રખતે હૈ!
ખરેખર સુંદર ગઝલ્….
દક્ષેશભાઈ તમારો કમાલ ગમ્યો…
गज़ल का हर शेअर ही काबिल-ए-दाद
और
काबिल-ए-दीद,
लेकिन इन आशार ने सब का दिल जीत लिया
गज़ल तो एक ही पहलू हमारी जिंदगानी का,
बस इतना जान लो, ‘चातक’ कई कमाल रखते हैं ।
થપ્પડ ખા કર ભી ગાલ અક્સર લાલ રખતે હૈ..વાહ દક્ષેશભાઈ કમાલની ગઝલ
‘चातक’ कई कमाल रखते हैं ।
आपकी हर कमाल पसंद आई !
बहोत बहोत धन्यवाद !
તમારી હિન્દી ગઝલ માણવાની ગમી!
સુધીર પટેલ.
समय के पास जिनके कोई भी उत्तर नहीं एसे,
हम अपनी आँख में जिन्दा कई सवाल रखतें हैं ….
ખુબ જ સુન્દર ….