Press "Enter" to skip to content

गिनाये भी नहीं जाते

हिन्दी में गज़ल लिखनी मैंने अभी-अभी शुरू की है।
इस ब्लोग पर हिन्दी में प्रस्तुत की गई यह मेरी प्रथम गज़ल है ।
यह आपको कैसी लगी ये जरूर बताईयेगा, आपके प्रतिभावों का मुझे इंतजार रहेगा ।

कई किस्से मुहोब्बत के सुनाये भी नहीं जाते
मिले जो घाव अपनों से, बताये भी नहीं जाते

उदासी थामकर दामन हमारे घर चली आयी,
कई महेमान एसे है भगाये भी नहीं जाते

हमें मालूम है की अश्क मोतीओं से बहेतर है
मगर आंसू को धागों में पिरोये भी नहीं जाते

गरीबी झेलना शायद जरा आसान हो जाता,
नमक के साथ आंसू को पकाये भी नहीं जाते

बिना पूछे चले आये वो मेरी नींद में अक्सर,
परीन्दो की तरह सपनें उडाये भी नहीं जाते

खुदा के नाम से डरता नहीं अब कोई आलम में
बुरे इन्सान को मंदिर बिठाये भी नहीं जाते

गिला-शिकवा जरूरी है मुहोब्बत की कहानी में,
मगर ‘चातक’ यहां किस्से गिनाये भी नहीं जाते

– दक्षेश कोन्ट्राकटर ‘चातक’

14 Comments

  1. Ami
    Ami February 20, 2012

    उदासी थामकर दामन हमारे घर चली आयी,
    कई महेमान एसे है भगाये भी नहीं जाते

    हमें मालूम है की अश्क मोतीओं से बहेतर है
    मगर आंसू को धागों में पिरोये भी नहीं जाते

    गरीबी झेलना शायद जरा आसान हो जाता,
    नमक के साथ आंसू को पकाये भी नहीं जाते

    बिना पूछे चले आये वो मेरी नींद में अक्सर,
    परीन्दो की तरह सपनें उडाये भी नहीं जाते

    खुदा के नाम से डरता नहीं अब कोई आलम में
    बुरे इन्सान को मंदिर बिठाये भी नहीं जाते
    અતિ ઉત્તમ રચના…વાહ દક્ષેશભાઈ…આખી રચના ખૂબ સરસ…

  2. Himanshu Patel
    Himanshu Patel February 20, 2012

    સરસ કંટ્રોલ છે ભાષા પર,ગમ્યું.

  3. Yatri
    Yatri February 20, 2012

    વાહ! ચાતકનું વિશ્વ વિસ્તરી રહ્યુ છે! બહોત ખૂબ!

  4. અશોક જાની 'આનંદ'
    અશોક જાની 'આનંદ' February 21, 2012

    आपकी ग़ज़ल अच्छी है, हिन्दीमें भी विचार अभिव्यक्ति अच्छी है.

    हमें मालूम है की अश्क मोतीओं से बहेतर है
    मगर आंसू को धागों में पिरोये भी नहीं जाते

    गरीबी झेलना शायद जरा आसान हो जाता,
    नमक के साथ आंसू को पकाये भी नहीं जाते …बहोत खूब,..!!

  5. Sapana
    Sapana February 21, 2012

    बिना पूछे चले आये वो मेरी नींद में अक्सर,
    परीन्दो की तरह सपनें उडाये भी नहीं जाते
    द्क्षेशभाई बहोत ही खूबसूरत गझल बनी है..मै भी हिन्दीमे लिखती हुं लेकीन अभी तक गझल नही लीखी ..आपका अनुभव जरूर मुजेह बताना .. गुजरातीसे अलग है या फीर एक जेसी…आपका हुन्दी पर अच्छा प्रभाव है..

  6. Karasan Bhakta, USA
    Karasan Bhakta, USA February 21, 2012

    દરેક પકિતઓ એક એકથી ચઢીયાતી. ખુબ જ સુન્દર રચના.
    ગુજરાતી- હિન્દીમા પણ “ચાતકજી” ની ભારે કમાલનો, આ પહેલો નમુનો !!!!!

  7. Mahesh Vadhel
    Mahesh Vadhel February 22, 2012

    kharekhar hindi vakay rachna khub sari che.

  8. Kishore Modi
    Kishore Modi March 6, 2012

    બહુ સરસ રચના.. અભિવ્યક્તિ સરસ રહી

  9. Nishit Joshi
    Nishit Joshi March 14, 2012

    बिना पूछे चले आये वो मेरी नींद में अक्सर,
    परीन्दो की तरह सपनें उडाये भी नहीं जाते
    વાહ ભાઇ સરસ વિચાર….સુંદર ગઝલ

  10. આશિષ જોષી
    આશિષ જોષી January 18, 2014

    દક્ષેશભાઈ, તમારી પ્રથમ હિન્દી ગઝલ ખુબ જ સરસ છે.
    ઘણા વખતથી તેની રાહ જોવાતી હતી. ભારતની ધરતી પરથી સુંદર શરૂઆત.
    मिले जो घाव अपनों से, बताये भी नहीं जाते

  11. Narendrasinh
    Narendrasinh February 5, 2014

    અતિ સુન્દર.

  12. Surkalam
    Surkalam March 22, 2014

    “हमें मालूम है की अश्क मोतीओं से कीमती है
    मगर आंसू को धागों में पिरोये भी नहीं जाते”
    – बहोत खूब

  13. Terrence Jani 'Saheb'
    Terrence Jani 'Saheb' January 2, 2015

    Bahut achche chatak Saab

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.